माँ दुर्गा और बिहार में दुर्गा पूजा – क्या है खास?

हर साल जब आश्विन माह की शुक्ल पक्ष शुरू होती है, बिहार के नीड़-घर में दुर्गा माँ का जादू देखना आसान नहीं। लोग घर-घर में गणेश जी की पूजा से लेकर माँ दुर्गा को नंदीदान तक सब कर देते हैं। आप भी सोच रहे हों कि इस साल दुर्गा पूजा कब है, क्या खास रीति‑रिवाज़ हैं और कौन‑से कार्यक्रम शहर‑गांव में हो रहे हैं? तो चलिए, सीधे बात करते हैं और कुछ उपयोगी टिप्स भी दे देते हैं।

दुर्गा पूजा की मुख्य तिथियाँ 2025

2025 में दुर्गा पूजा का मुख्य सप्ताह 23 से 30 अक्टूबर तक चलने वाला है। यह अवधि ‘श्रीराम नवमी’ से शुरू होती है और ‘विजया दशमी’ पर ख़त्म होती है। बिहार में सबसे ज्यादा लोग ‘अहर्नव’ (पहला दिन) को नंदीदान करते हैं, फिर ‘सप्तमी’ (दूसरा दिन) को सजा‑सज्जा करके माँ को आमंत्रित करते हैं। ‘अष्टमी’ पर काली हंडा जलाया जाता है, और ‘नवमी’ को माँ की मंगलकामनाओं के लिए विशेष पंडाल लगाते हैं। ‘विजया दशमी’ पर माँ के आशीर्वाद के साथ बैनर फाड़ा जाता है और सभी घरों में मिठाई बाँटी जाती है।

माँ दुर्गा से जुड़े लोकप्रिय विश्वास और रिवाज़

भाई-बहनों के बीच एक आम बात है – माँ दुर्गा की पूजा में अगर आप ‘बिरयानी’ या ‘खिचड़ी’ बनाते हैं, तो वह अगले साल धनी‑समृद्धि लाती है। कई गांव में पंडित लोग ‘दुर्गा सिद्धि’ की कथा सुनाते हैं, जहाँ माँ दुर्गा ने महिषासुर को हराकर धर्म की जीत की थी। ऐसा माना जाता है कि अगर आप पूजा के दौरान ‘सिंघासन’ (छोटा लोटा) माँ को अर्पित करें, तो घर में कोई रोग नहीं रहेगा। साथ ही, माँ दुर्गा से जुड़ी ‘हवन’ में ‘सूर्यजप’ करने से शत्रु बाधा दूर होती है, ऐसा कहा जाता है।

अगर आप शहर में रहते हैं और बड़े पंडाल में जाना चाहते हैं, तो पटना, गया और भागलपुर के बड़े मंदिरों में खास कार्यक्रम होते हैं। अक्सर इन पंडालों में संगीत, नृत्य और स्थानीय कलाकारों की कव्वाली सुनने को मिलती है। छोटे शहरों में ‘बिटिया’ (समुदाय की महिलाएँ) मिलकर घर पर ही माँ को सम्मानित करती हैं, और घर के कोने में ‘भोग’ की थाली सजाती हैं।

अब बात करते हैं प्रैक्टिकल टिप्स की – पूजा की तैयारी में पहले से ही सामग्री खरीदें। ‘गरजिया’, ‘धूप’, ‘अगरबत्ती’, ‘सिन्दूर’, ‘कपूर’ और ‘आर्टिफिशियल फूल’ तैयार रखें। अगर आपके पास बजट कम है, तो ‘पानी के फूल’ या ‘कागज़ के बने पत्ते’ भी काम चलाते हैं। माँ दुर्गा के प्रसाद में ‘भोग’ के तौर पर ‘साबूदाना खिचड़ी’ या ‘आटा की लड्डू’ बनाना आसान और सस्ता रहता है।

कुछ लोग कहते हैं कि माँ दुर्गा को खुश रखने के लिए सामाजिक काम करना भी जरूरी है। इस साल जकात‑जमीन या जरूरतमंद बच्चों के लिये कपड़े बांटने का प्रोग्राम आयोजित करें, और उसे माँ दुर्गा के ‘भजन’ में शामिल कर दें। ऐसा करने से न सिर्फ आपका आध्यात्मिक मनोबल बढ़ेगा, बल्कि समुदाय में भी आपसे जुड़ाव बढ़ेगा।

अंत में, अगर आप ऑनलाइन दुर्गा पूजा देखना चाहते हैं, तो बिहार समाचार टीव पर लाइव स्ट्रीमिंग और रीकैप वीडियो मिलेंगे। इन वीडियो में पंडित जी के येजमेंट और लाइव ‘आरती’ भी होती है, जो घर बैठे ही माहौल को असली बनाती है। तो इस साल माँ दुर्गा के साथ खुशियों भरा समय बिताएँ और अपने परिवार को भी इस ऊर्जा से भरपूर रखें।

Navratri 2025 के रंग: माँ दुर्गा के 9 रूपों के साथ आध्यात्मिक पेंटिंग्स की गाइड

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Navratri 2025 का शारदीय नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलती है। प्रत्येक दिन एक अलग माँ दुर्गा के रूप को समर्पित है और उससे जुड़ा खास रंग है। इस रंगों की सच्ची महत्ता, पहनावे की टिप्स और घर की सजावट के तरीके इस लेख में पढ़ें।

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