अब बिहार के किसान भी देश के किसी कोने में बचे सकेंगे अपना उत्पाद-उपमुख्यमंत्री
* एक देश एक कृषि बाजार, किसानों को मिला मूल्य की गारंटी
उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तीन अध्यादेशों के जरिए कृषि क्षेत्र को सभी तरह की नियंत्रण व बाधाओं से मुक्त करने पर प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए कहा कि जिस तरह से 1991 में पी वी नरसिन्हा राव की सरकार ने उदारीकरण की नीति के तहत उद्योगों को लाइसेंस, परमिट से मुक्त कर दिया था उसी तरह से नरेन्द्र मोदी ने इन अध्यादेशों से देश के कृषि क्षेत्र को सभी बाधाओं से पूरी तरह से मुक्त कर दिया है। अब ‘एक देश एक कृषि बाजार’ के तहत किसानों को अपने उत्पाद को देश के किसी भी हिस्से में बेचने की स्वतंत्रता होगी। बिहार में एनडीए की सरकार ने तो 2007 में ही बाजार समिति एक्ट (एपीएमसी) को समाप्त कर राज्य के अंदर कहीं भी अपने उत्पाद को बेचने की आजादी दे दी थी, अब वे अपने उत्पादों को हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में बिना किसी बाधा के बेच सकेंगे।
श्री मोदी ने कहा कि अब बिहार के किसानों को अन्य राज्यों के मंडी कानून के मकड़जाल से भी राहत मिलेगी और उन्हें किसी लाइसेंसधारी को ही अपना उत्पाद बेचने की बाध्यता नहीं रहेगी। प्रमुख कृषि उत्पादों आलू, प्याज, दहलन, तेलहन व अन्य अनाज आदि को आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की सूची से बाहर करने के फैसले से किसानों को अपनी उपज का उचित कीमत मिल सकेगा।
कान्ट्रैक्ट फार्मिंग के दौरान किसान उत्पादन से पहले ही निर्यातकों व बड़े कारोबारियों से अपनी उपज की कीमत तय कर सकेंगे और अगर बाजार मूल्य कम या आपदा से उपज कम होती है तो भी उन्हें समझौते के दौरान तय मूल्य मिलने और बाजार मूल्य ज्यादा होने पर उसका लाभ मिलने की गारंटी होगी। जमीन के मालिक अपनी जमीन को किसी को भी पट्टे पर देने अथवा किसी और कम्पनी के साथ अनुबंध के आधार पर खेती करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
बिहार में एपीएमसी एक्ट को खत्म करने का ही नतीजा रहा कि यहां के किसान अपने हजारों टन गेहूं, मक्का, धान व सोयाबीन, सब्जी आदि बिना किसी बिचैलिए के बेच रहे हैं। दर्जनों कम्पनियां बिहार के किसानों से सीधे अनानास, स्ट्राबेरी, लीची, मखाना तथा उनके अन्य उत्पादों को बाजार मूल्य पर खरीद रही हैं।