नकली खबर से बचें: पहचान और रोकथाम
क्या आपने कभी ऐसी खबर पढ़ी है जो बहुत तीखी लगती है, लेकिन बाद में पता चलता है कि वो पूरी तरह झूठी थी? हम सब ने सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट देखे हैं जो देखते ही मुँह में पानी भर देते हैं – चाहे वो डरावनी हो या दंग कर देने वाली। लेकिन एक छोटी सी सतर्कता से आप हजारों लोगों को गलत जानकारी से बचा सकते हैं।
नकली खबर की आम पहचानें
नकली खबर अक्सर कुछ पैटर्न दोहराती है। सबसे पहला संकेत है घातक या आकर्षक शीर्षक, जिसमें अक्सर "अचंभित कर देगा", "सर्वश्रेष्ठ" या "सरकार नहीं बताती" जैसे शब्द होते हैं। दूसरा, स्रोत अनजान या बहुत नए होते हैं – जैसे निजी फेसबुक प्रोफ़ाइल या अजीब नाम वाली वेबसाइट। तीसरा, तस्वीर या वीडियो अक्सर अलग‑अलग जगहों से चुराए हुए होते हैं, इसलिए उनका आरएसएस या फ़ाइल नाम असामान्य रहता है। अंत में, लेख में अक्सर बगैर ठोस आँकड़े के आँकड़े या क्वोट्स होते हैं, जिससे भरोसा कम हो जाता है।
कदमों से बचाव कैसे करें
पहला, स्रोत चेक करें। अगर खबर सिर्फ एक ही पेज पर है और बड़े न्यूज़ पोर्टल ने नहीं कहा, तो इसे संदेह की नजर से देखें। दूसरा, एक ही खबर को दो‑तीन भरोसेमंद साइटों पर खोजें। अगर कई विश्वसनीय माध्यमों ने वही बात की है, तो संभावना है कि वह सही है। तीसरा, तारीख और समय देखें – कई बार पुराने समाचार को नया बना कर फिर से शेयर किया जाता है। चौथा, भावनात्मक भाषा में फंसें नहीं; अगर लेख बहुत ज़्यादा गुस्सा, डर या खुशी पैदा कर रहा है, तो वह अक्सर फेक हो सकता है। पाँचवा, फ़ेक‑चर्च साइट या गूगल इमेज सर्च जैसे टूल का इस्तेमाल करके फोटो की असली जड़ पता करें।
सोशल मीडिया पर इसे लागू करने में थोड़ा समय लग सकता है, लेकिन यही छोटा‑छोटा कदम बड़े फ़ायदे लाते हैं। अगर आपको कोई खबर संदेहजनक लगे, तो उसे तुरंत शेयर न करें। पहले इसे टिप्पणी में पूछें – "क्या इस खबर की पुष्टि हुई है?" – या खुद थोड़ा रिसर्च कर लें। अगर आप पाते हैं कि खबर फेक है, तो प्लेटफ़ॉर्म पर रिपोर्ट करें और अपने फॉलोअर्स को सही जानकारी दें।
याद रखें, एक शेयर की गई जालसाज़ी खबर पीछे हजारों अनजाने लोगों को गुमराह कर सकती है। इसलिए जब भी आप कोई तेज़‑तेज़ खबर देखते हैं, तो एक देर लगाकर जाँच लें। सरल टिप्स अपनाकर आप अपने और दूसरों के लिए एक साफ़ सूचना माहौल बना सकते हैं।