भारतीय राष्ट्रपति: क्या है उनका काम और कैसे चुनते हैं?

जब आप टीवी पर या सोशल मीडिया में राष्ट्रपति की बातें सुनते हैं, तो अक्सर सवाल उठता है – उनका असली काम क्या है? राष्ट्रपति सिर्फ एक औपचारिक चेहरा नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र में खास जगह रखते हैं। चलिए, आसान शब्दों में समझते हैं कि उनका दिन‑प्रतिदिन कैसे चलता है और उन्हें कैसे चुना जाता है।

राष्ट्रपति की मुख्य जिम्मेदारियाँ

सबसे पहले, राष्ट्रपति भारत के संविधान के तहत "राज्य के प्रमुख" कहलाते हैं। इसका मतलब है कि वे सरकार के सभी कामों को औपचारिक रूप से मंजूरी देते हैं। जब संसद में बिल पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति उसे "राष्ट्रपति का सम्मान" (रिपोर्ट) के साथ अधिनियमित कराते हैं। अगर वे सोचते हैं कि बिल में कोई समस्या है, तो वे उसे वापस भेज सकते हैं – यह "रिप्रोटीशन" कहलाता है।

राष्ट्रपति की भूमिका केवल कागज़ी काम तक सीमित नहीं है। वे अंतरराष्ट्रीय यात्राओं पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हैं, विदेशियों को सम्मानित करते हैं और राष्ट्रीय बहादुरियों को सम्मानित करने वाले समारोहों में शिरकत करते हैं। हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड में उनका प्रमुख स्थान होता है, जहाँ वे शहीदों और वीरों को सम्मानित करते हैं।

राष्ट्रपति कैसे चुने जाते हैं?

राष्ट्रपति का चुनाव बहुत दिलचस्प होता है क्योंकि यह सामान्य लोक चुनाव जैसा नहीं, बल्कि एक विशेष सभा द्वारा किया जाता है। इस सभा को "एलिप्सेलेक्टोरल कॉलेज" कहते हैं, जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य और सभी राज्य विधायकों की गिनती शामिल होती है। प्रत्येक सदस्य को एक "वेटेड वोट" मिलता है, जिसका मान उनका राज्य या केंद्र में जनसंख्या के आधार पर तय होता है।

चुनाव प्रक्रिया में दो दौर होते हैं – पहले वोट पकड़े जाते हैं, फिर सबसे अधिक वोट पाने वाले को राष्ट्रपति घोषित किया जाता है। अगर कोई उम्मीदवार को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिलते, तो दूसरे दौर में सबसे अधिक वोट वाले दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता है। इस तरह से निर्वाचित राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच साल का होता है, और दो बार तक पुन: चयनित हो सकते हैं।

भौतिक रूप से, राष्ट्रपति के काम का असर अक्सर प्रत्यक्ष नहीं दिखता, पर उनकी नज़र हमेशा संविधान और राष्ट्रीय हितों पर रहती है। उदाहरण के तौर पर, 2015 में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कई महत्वपूर्ण कानूनों पर हस्ताक्षर किए, जिससे लोगों की जिंदगी में सीधा बदलाव आया। इसी तरह, डॉ. आर.वी. गाँधीकुल ने अपने कार्यकाल में सामाजिक न्याय के मुद्दों को आगे बढ़ाया।

अगर आप सोच रहे हैं कि राष्ट्रपति बनने के लिए क्या चाहिए – तो सबसे पहले एक साफ‑सुथरी रक्षा‑पृष्ठभूमि, राजनीतिक अनुभव और देशभक्ति की भावना अनिवार्य है। कई राष्ट्रपति पूर्व सैनिक, राजनेता या विधिक विशेषज्ञ रहे हैं। उनका चयन अक्सर पार्टियों की गठबंधन शक्ति और राष्ट्रीय संतुलन पर निर्भर करता है।

आख़िर में, राष्ट्रपति की भूमिका को "सिंहासन पर बैठना" नहीं, "देश की सेवा करने की ज़िम्मेदारी" कहना बेहतर है। चाहे वे संविधान को संरक्षित रखें या राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दें, उनका काम हमेशा भारत को एक मजबूत और सम्मानित राष्ट्र बनाये रखने में मदद करता है। अगर आप राजनीति में रुचि रखते हैं, तो राष्ट्रपति चुनाव के बारे में समझना एक बेहतरीन शुरुआत है।

क्या भारतीय सर्वोच्च न्यायालय भारतीय राष्ट्रपति को हटा सकता है?

क्या भारतीय सर्वोच्च न्यायालय भारतीय राष्ट्रपति को हटा सकता है?

मेरे ब्लॉग का विषय "क्या भारतीय सर्वोच्च न्यायालय भारतीय राष्ट्रपति को हटा सकता है?" का अध्ययन करता है। इसमें मैंने भारतीय संविधान और उसकी व्याख्या पर विचार किया है। मेरे अनुसार, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के पास सीधे राष्ट्रपति को हटाने की शक्ति नहीं होती है, लेकिन यदि महाभियोग प्रक्रिया के माध्यम से संविधान सभा द्वारा आरोप लगाए जाते हैं, तो वह उन्हें समीक्षा कर सकता है। यह एक कठिन और जटिल प्रक्रिया होती है जिसमें भारतीय संविधान के विभिन्न धाराओं का इस्तेमाल होता है।

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