रजनीश सिंह ने सर क्रीक में पाकिस्तान की ठेकेबंदी पर दी कड़ी चेतावनी

रजनीश सिंह ने सर क्रीक में पाकिस्तान की ठेकेबंदी पर दी कड़ी चेतावनी

जब रजनीश सिंह, भारत के रक्षा मंत्री, ने 2 अक्टूबर 2025 को पाकिस्तान को एक कड़ी चेतावनी दी, तो यह संकेत मिला कि सर क्रीक की सीमा में नई रक्तगति शुरू हो चली है। सिंह ने कहा कि कोई भी कदम ‘इतिहास और भूगोल दोनों को बदलने वाली’ प्रतिक्रिया को उत्पन्न कर सकता है। इस घोषणा के बीच, नई खुफिया रिपोर्टें बताती हैं कि पाकिस्तानी सेना ने लगभग 150 किलोमीटर² क्षेत्र में नई मिलिट्री कॉम्प्लेक्स, मिनी‑कैंटोनमेंट और आपातकालीन हवाई पट्टी स्थापित कर ली हैं।

पृष्ठभूमि: सर क्रीक विवाद की ऐतिहासिक जड़ें

सर क्रीक, लगभग 96 किमी लम्बा एक उलझा हुआ ज्वार‑भाटा estuary, 1947 के विभाजन के बाद से भारत‑पाकिस्तान के बीच लम्बे समय से अनसुलझे सीमा मुद्दे में से एक है। जल सीमा तय होने के साथ-साथ इस क्षेत्र के अंदर‑बाहर के मछली पकड़ने वाले इलाकों, संभावित तेल‑गैस धनों और समुद्री शिपिंग रूट्स का भी सवाल जुड़ा है। पिछले कुछ दशकों में कई बार दोनों पक्षों ने ‘ड्रॉ‑इन‑लाइन्स’ और ‘गोल्ड‑बिट’ पर विवाद किया, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकला।

नया विकास: पाकिस्तान की सैन्य बूटकैंप

पाकिस्तान आर्मी ने सन 2025 में अपने सिंध रेजिमेंट के तहत चार नई क्रीक बैटालियन जोड़ दीं। अब तक कुल छह बैटालियन (31‑35) सर क्रीक के नजदीकी जिलों—सुझावाल, घारो, बडिन, जाटी और केती बुंदर—में तैनात हैं। ये इकाइयाँ न केवल पैदल सेना बल्कि ड्रोन‑सुसज्जित आर्टिलरी, तेज़‑बोट्स और हवाई समर्थन के साथ बहु‑आयामी ऑपरेशनों के लिए तैयार हैं।

  • 31वीं बैटालियन – सुझावाल (1999)
  • 32वीं बैटालियन – घारो (2019)
  • 33वीं बैटालियन – बडिन (2021)
  • 34वीं बैटालियन – जाटी (2025)
  • 35वीं बैटालियन – केती बुंदर (2025)

स्थानीय मछुआरों के अनुसार, अब बिना विशेष सैन्य पास के इस क्षेत्र में जाना मुश्किल हो गया है; उन्होंने बताया कि सैकड़ों हेक्टर भूमि पर अब ‘पर्यवेक्षक पदों’ और ‘सतत बख्तरबंद बंकरों’ की घनी मीनारें उगी हैं।

भारत की प्रतिक्रिया: बहु‑स्तरीय रक्षा तंत्र

भारी तलवार की धधकती चिंगारी पर भारत ने अपना सुरक्षा कवच भी तेज़ किया। बॉर्डर सिक्योरिटी फ़ोर्स (बीएसएफ) को पहले पंक्ति में तैनात कर, विशेष हवरक्राफ्ट, सुदृढ़ बैनर‑बैटरियां और एकीकृत सर्विलांस सिस्टम स्थापित किए गए। इसके साथ भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की परत‑परत रक्षा ने सर क्रीक को एक ‘डिटेरेन्ट’ बनाकर रखा। लेखा‑जोक़ा में प्रमुख हथियार बृह्मोस (BrahMos) कोस्टल बैटरी, P‑8I मरीन पैट्रोल विमान और नई‑निर्मित एंटी‑ड्रोन फ़ैब्रीक शामिल हैं।

पाकिस्तानी ऑपरेशन सिंडूर के बाद ब्होलारी हवाई अड्डे की क्षति को देखते हुए, इस बेस को फिर से सुदृढ़ किया गया है, जिससे दोनों देशों के बीच हवा की सीमा पर तनाव फिर से भड़क गया है।

राजनीतिक और कूटनीतिक दर्पण

सिंह की बातों में सिर्फ कड़ी शब्दावली नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश छिपा है—'कराची तक का रास्ता सर क्रीक से होकर जाता है'। यह अभिप्राय यही है कि पाकिस्तान की आर्थिक धारा, जो मुख्यतः कराची के बंदरगाह पर निर्भर है, भारत की दक्षिणी सीमा से सीधे जुड़ी हुई है। इस परिलक्षित रणनीति से दोनों देशों के बीच फिर से ‘शीत युद्ध’ जैसा माहौल बन रहा है, जहाँ हर कदम ‘हाइड्रॉलिक फ्रंट’ पर मापी जाती है।

इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र और कई अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा मंचों ने दोनों पक्षों से कहा है कि विवादित जल क्षेत्र में कोई भी सैन्य कार्य ‘समुद्री शांति’ को नुकसान पहुंचा सकता है।

आगे क्या होगा? संभावित परिदृश्य

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों पक्षों ने कूटनीति की जगह सैन्य खेल मैदान में प्रवेश कर लिया तो सर क्रीक अचानक ‘पकी हुई पंखा’ बन सकता है। संभावित परिदृश्य में शामिल हैं:

  1. जाम्बी‑बैरिके में आकस्मिक टकराव, जिससे स्थानीय लोगों के विस्थापन की समस्या उत्पन्न होगी।
  2. अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के तहत ‘सीमावर्ती जल बैनर’ की पुनः-परिभाषा।
  3. रॉकेट‑बेस्ड डिटेक्शन सिस्टम के माध्यम से सीमा संघर्ष का ‘साइबर‑डिप्लोमेसी’ में बदलना।

जो भी हो, सर क्रीक की स्थिति अब सिर्फ एक स्थानीय झगड़ा नहीं रह गया; यह व्यापक भू‑राजनीतिक खेल का अहम टुकड़ा बन चुका है।

मुख्य तथ्य

  • 2 अक्टूबर 2025 को रक्षा मंत्री रजनीश सिंह ने पाकिस्तान को ‘इतिहास बदलने वाली’ प्रतिक्रिया का इशारा किया।
  • पाकिस्तान ने सर क्रीक के 150 किमी² में छह बैटालियन और कई हवाई पट्टियों का निर्माण किया।
  • भारत ने बीएसएफ, ब्रह्मोस बैटरियां, P‑8I विमान और हवरक्राफ्ट से रक्षा व्यवस्था सुदृढ़ की।
  • ऑपरेशन सिंडूर (मई 2025) के बाद भी ब्होलारी एयर बेस को पुनः सशक्त किया गया।
  • सर क्रीक के जल सीमा पर नियंत्रण दोनों देशों के आर्थिक और ऊर्जा हितों को सीधे प्रभावित करता है।
Frequently Asked Questions

Frequently Asked Questions

सर क्रीक विवाद का इतिहास क्या है?

सर क्रीक 1947 के बाद भारत‑पाकिस्तान के बीच अनसुलझा सीमा मुद्दा रहा है। 96 किमी लंबा यह जल मार्ग समुद्री सीमा, मछली पकड़ने वाले इलाकों और संभावित तेल‑गैस धनों को नियंत्रित करता है, जिससे दोनों देशों के जल सुरक्षा और आर्थिक हित जुड़े हैं।

रजनीश सिंह की चेतावनी का मुख्य संदेश क्या था?

उनका कहना था कि अगर पाकिस्तान सर क्रीक में वर्तमान स्थिति बदलने की कोशिश करेगा, तो भारत एक ‘ऐसी प्रतिक्रिया’ देगा जो इतिहास और भू‑भौगोलिक मानचित्र दोनों को बदल सकती है। यह कूटनीति के बजाय रिवर्स डिटरेंस का इशारा था।

पाकिस्तान ने किन नई सैन्य इकाइयों को तैनात किया?

सिंध रेजिमेंट के तहत 2025 में दो नई क्रीक बैटालियन – 34वीं (जाटी) और 35वीं (केती बुंदर) – को जोड़ा गया, जिससे कुल छह बैटालियन सर क्रीक के चारों ओर तैनात हो गईं। इनका काम बंकर्स, ड्रोन और जल‑सेनाए के लिए आधार बनाना है।

भारत ने कौन‑से प्रमुख रक्षा साधन तैनात किए?

भारत ने बीएसएफ को प्रथम पंक्ति में रखा, साथ में हवरक्राफ्ट, ब्रह्मोस कोस्टल बैटरियां, P‑8I समुद्री पिट्रोल विमान और एकीकृत निगरानी प्रणाली स्थापित की। ये सभी सैन्य कार्रवाई को रोकने और जल सीमा पर नजर रखने के लिए तैयार किए गए हैं।

भविष्य में इस विवाद से क्या संभावित परिणाम निकल सकते हैं?

यदि कूटनीति नहीं चलती, तो मालूम पड़ सकता है कि छोटे‑से‑छोटे जड़ता‑भरे टकराव से बड़े‑स्तर के सैन्य टकराव में बदल जाए। दूसरी ओर, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता जारी रहने पर जल सीमा का पुनः‑निर्धारण, सामुद्रिक आर्थिक क्षेत्र का साझा उपयोग और सीमा‑स्थिरता की नई व्यवस्था संभव है।