धनतेरस 2025 पर सोना रिकॉर्ड ऊँचाई पर, मध्यम वर्ग के लिए मुश्किल बढ़ी

धनतेरस के शुभ अवसर पर 18 अक्टूबर 2025 को भारत में सोना ने ऐतिहासिक ऊँचाई छू ली, जिससे मध्यम वर्ग के लिए खरीदारी का सपना कहीं दूर लगने लगा। दिल्ली में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹1,32,930 प्रति 10 ग्राम, और 22 कैरेट ₹1,21,860 पर रही। यही नहीं, मुंबई, पुणे और चेन्नई जैसे बड़े शहरों में भी कीमतें समान स्तर पर बनी रही।
यह उछाल सिर्फ घरेलू बाजार तक सीमित नहीं रहा; अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सोने की कीमतें तेज़ी से बढ़ रही हैं। अमेरिकी बाजार में 1 जनवरी 2025 को सोने का औसत $2,623.91 था, जबकि 16 अक्टूबर तक यह $4,315.74 पर पहुँच गया। वर्ष‑भर में कीमतों में 61.97 % की जबरदस्त उछाल देखा गया।
वर्तमान बाजार की स्थिति
भारतीय बुनियादी स्तर पर दिल्ली में 24 कैरेट सोने का दाम ₹1,32,930, जबकि मुंबई में लगभग ₹1,32,780‑₹1,32,930 के बीच रहा। 22 कैरेट सोने का दाम दोनों शहरों में ₹1,21,710‑₹1,21,860 के आसपास स्थिर रहा। इसी दौरान चांदी की कीमत ₹1,84,900 प्रति किलो तक पहुँची, जो पिछले साल के मुकाबले 12 % अधिक है।
निवेशकों ने MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर भी रिकॉर्ड नई ऊँचाइयाँ देखी। 17 अक्टूबर को दिसंबर वायदा सोना ₹1,31,920 प्रति 10 ग्राम तक पहुँचा, जबकि 18 अक्टूबर को थोडा गिरकर ₹1,29,580 पर बंद हुआ। चांदी के वायदा भी ₹1,69,676 किग्रा के स्तर पर ट्रेड हुए।
वैश्विक कारकों की भूमिका
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, इस उछाल के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय कारण हैं। सबसे बड़ा कारक फ़ेडरल रिज़र्व की संभावित ब्याज दर कटौती का सिग्नल है, जिससे निवेशकों ने सुरक्षित संपत्ति के रूप में सोने की ओर रुख किया। डॉलर इंडेक्स में 0.20 % की गिरावट ने भी सोने को सस्ता बना दिया, क्योंकि अन्य मुद्राओं में सोना अब सस्ते में खरीदा जा रहा है।
साथ ही, विश्व के प्रमुख केंद्रीय बैंकों ने 2023 से लगभग 3,500 मेट्रिक टन (35 लाख किलोग्राम) सोना खरीद लिया है। यह निरंतर खरीदारी बाजार में मांग को सपोर्ट करती है। अमेरिका‑चीन के बीच बढ़ता व्यापार तनाव, टैरिफ की धमकियों और यूक्रेन‑रूस संघर्ष जैसी भू‑राजनीतिक अनिश्चितताएँ भी सुरक्षित धन‑संपदा की खोज को तेज करती हैं।
धनतेरस की परम्परा और खरीदारियों का व्यवहार
धनतेरस को हिंदू पंचांग में बर्तन और कीमती धातुओं की खरीदारी के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है। इस साल इस त्यौहार को दो दिनों तक मनाया गया, और खरीदारी 18 अक्टूबर को आधी रात से शुरू हुई। लेकिन रिकॉर्ड‑ऊँची कीमतों के कारण विक्रेताओं ने चेतावनी दी है कि बिक्री मात्रा पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 15 % घट सकती है।
ज्वेलरी स्टोर्स और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म दोनों ने ग्राहक ट्रैफ़िक में वृद्धि का अनुमान लगाया है, परन्तु औसत ख़रीद की मात्रा कम रहने की सम्भावना है। मध्य वर्ग के कई लोग अब छोटे‑छोटे सोने के टुकड़े (जैसे 1 ग्राम या 5 ग्राम) ही खरीद पाएंगे, जबकि पहले बड़े बॉक्स या हार खरीदना आम था।

वित्तीय विशेषज्ञों की भविष्यवाणी
टेक्निकल एनालिसिस के आधार पर, वर्तमान सपोर्ट लेवल ₹1,24,500‑₹1,26,000 और रेज़िस्टेंस लेवल ₹1,29,000‑₹1,30,000 के बीच है। यदि कीमतें इस रेंज को तोड़ती हैं, तो 2026 तक 10 ग्राम सोना ₹1,50,000 तक पहुँच सकता है। कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने यह भी अनुमान लगाया है कि 2026 तक सोने की कीमत $4,900 प्रति औंस तक बढ़ सकती है।
विलियम जॉन्सन, सिटीज ग्लोबल रिसर्च के प्रमुख विश्लेषक, का कहना है, “सोना अब केवल सौंदर्यशास्त्र नहीं, बल्कि मुद्रास्फीति और भू‑राजनीतिक जोखिमों के खिलाफ सबसे भरोसेमंद हेज बन चुका है।” भारत में RBI के प्रमुख अर्थशास्त्री डॉ. अंजलि मेहरा ने भी चेतावनी दी कि “लगातार उच्च कीमतें मध्यम वर्ग के लिए बचत‑निवेश के विकल्प को सीमित कर सकती हैं, इसलिए विविधीकरण आवश्यक है।”
पड़ोसी देशों में असर
भारत के साथ ही पाकिस्तान में भी सोने के दाम आसमान छू रहे हैं। ऑल पाकिस्तान जेम्स एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त 2025 में सोने की कीमत में ₹500 का इजाफा हुआ, जिससे प्रति तोला कीमत ₹3,62,700 और 10 ग्राम पर ₹3,10,956 पहुँचा। आलमी बाजार में सोने का औसत $5 का इजाफा कर $3,400 प्रति औंस हो गया।
ऐसे माहौल में निवेशकों का रूझान ETF (एक्सचेंज‑ट्रेडेड फंड) की ओर भी बढ़ रहा है। वैश्विक स्तर पर सोने‑आधारित ETF में 2025 के दौरान 23 % की वृद्धि दर्ज हुई, जो बताती है कि लोग मुद्रास्फीति और अस्थिरता के खिलाफ सोने को स्थायी सुरक्षा मान रहे हैं।

मुख्य बिंदु
- धनतेरस 2025 पर सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊँचाई पर – 24 कैरेट ₹1,32,930/10 ग्राम, 22 कैरेट ₹1,21,860/10 ग्राम.
- अमेरिकी बाजार में सोना $4,315.74/औंस, 61.97 % वार्षिक वृद्धि.
- फ़ेडरल रिज़र्व की संभावित दर कटौती, डॉलर की कमजोरी और केंद्रीय बैंक खरीद ने कीमतें बढ़ाई.
- विशेषज्ञ अनुमान – 2026 में 10 ग्राम सोना ₹1,50,000 से अधिक हो सकता है.
- मध्यम वर्ग के लिए खरीदारी का दबाव बढ़ा; बिक्री मात्रा में 15 % की गिरावट की संभावना.
अगले कदम
जैसे-जैसे मौसमी उत्सव समाप्त होते हैं, निवेशकों को अपने पोर्टफ़ोलियो में सोने के अनुपात को पुनः‑संतुलित करने की जरूरत होगी। विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि छोटे‑छोटे बार, सिक्के या सोने‑आधारित फण्डों में निवेश किया जाए, जिससे नकदी प्रवाह में कमी न आए। साथ ही, RBI द्वारा भविष्य में कोई नीतिगत बदलाव, जैसे सोने पर आयकर में छूट या शुद्ध मूल्य में बदलाव, भी बाजार को नई दिशा दे सकते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
धनतेरस के दिन सोना खरीदना क्यों महंगा है?
धनतेरस को सोने की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है, इसलिए खरीदारियों की भीड़ बढ़ जाती है। मांग में उछाल और सीमित सप्लाई मिलकर कीमतों को रिवर्स़ीवली बढ़ाते हैं।
क्या मध्यम वर्ग के लिए सोने में निवेश अभी भी फायदेमंद है?
इतनी ऊँची कीमतों पर शुद्ध सोना खरीदना कठिन हो सकता है, परंतु छोटे‑छोटे बार या सोने‑आधारित ETF के माध्यम से पोर्टफ़ोलियो में सोना जोड़ना अभी भी अस्थिर बाजार में सुरक्षा देता है।
क्या फ़ेडरल रिज़र्व की दर कटौती का प्रभाव सोने की कीमतों पर हमेशा सकारात्मक रहता है?
आमतौर पर दर कटौती से डॉलर कमजोर होता है, जिससे सोने की विदेशी मुद्रा में कीमत बढ़ती है। लेकिन यदि कटौती से महँगाई बढ़ती है, तो निवेशक सोने के अलावा अन्य एसेट्स भी चुन सकते हैं।
पाकिस्तान में सोने की कीमतें भारत से कैसे तुलना करती हैं?
ऑल पाकिस्तान जेम्स एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के अनुसार, पाकिस्तान में 1 तोला सोना लगभग ₹3,62,700 पर है, जो भारतीय 10 ग्राम कीमत से तीन‑गुना अधिक है, क्योंकि मुद्रा अवमूल्यन और आयात शुल्क दोनों अलग हैं।
आगे के सालों में सोने की कीमतों की क्या संभावनाएँ हैं?
तकनीकी विश्लेषण के आधार पर सपोर्ट‑रेजिस्टेंस लेवल के भीतर रखी गई कीमतें 2026 में ₹1,50,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुँच सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि $4,900/औंस के आसपास का लक्ष्य भी संभव है।